Shri Kallaji Vedic Vishvavidyalaya
Shri Kallaji Vedic Vishvavidyalaya (SKVV) stands as a beacon, merging ancient Vedic wisdom with contemporary education. Our goal is to bring back the important teachings from the old Indian Vedic tradition by doing thorough research and adding new scientific knowledge. SKVV is special because it's independent and different. It blends the wisdom of the past with today's education.


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Empowering Vision, Inspiring Leadership - Navigating Tomorrow Together

प्रोफेसर विनोद शास्त्री
( लोकपाल )

श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय द्वारा लोकपाल की नियुक्ति पत्र क्रमांक SKVV/012/GA/ 2024 19 दिनांक 27. 1 .2024
पद:- पूर्व कुलपति जगतगुरू रामानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर राजस्थान
पता :- ए 18 भूदेव कॉलोनी श्रीजी नगर दुर्गापुरा जयपुर राजस्थान
मोबाइल नंबर:- 9414051117
ईमेल आईडी:- vshastri123@gmail.com

As our university is committed to holistic development, we prioritize a curriculum which is designed to meet the demands of today’s workforce.Our mission is to cultivate well-rounded citizens with renowned expertise, blending Vedic heritage and modern studies – “वैदिक और समकालीन अध्ययनों का मेल।”



As our university is committed to holistic development, we prioritize a curriculum which is designed to meet the demands of today’s workforce.Our mission is to cultivate well-rounded citizens with renowned expertise, blending Vedic heritage and modern studies – “वैदिक और समकालीन अध्ययनों का मेल।”
Mr. R.K. Gupta
(Director)
विश्वविद्यालय एक दृष्टि में
सम्पूर्ण विश्व में वीर-प्रसविनी धरा के रूप में प्रसिद्ध तथा अनगिनत ओजस्वी सपूतों के देदीप्यमान इतिहास से पल्लवित राजपूताना की धरती पर लोक मान्यता के अनुसार सम्वत् 1601 में कल्लाजी राठौड़ का जन्म मारवाड़ के सामियाना जागीर के राव श्री अचलाजी के यहाँ हुआ था। महान् साधक, क्षत्रियों के सिरमौर एवं भारतीय परम्परा के महादूत श्री कल्लाजी सम्पूर्ण राष्ट्र को सन्देश हैं कि- “वेद सम्पूर्ण विश्व कल्याण का श्रेष्ठतम साधन है। वेदों से बढ़कर सुख शान्ति एवं समृद्धि प्राप्त करने का कोई और माध्यम नहीं हो सकता है।” सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण का बीज वेदों में है तथा उस वेदपथ का अनुसरण करने से ही मानवता सुखी रह सकती है। इस अभिप्राय से उन्होंने जन-मानस को प्रेरणा दी है कि एक वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना करके, राष्ट्र में एक नई आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक चेतना का सूत्रपात किया जाए।
इस दिव्य स्वप्न का साकार करने के लिए श्री शेषावतार 1008 श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान, निम्बाहेड़ा द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प लिया गया। इसी निमित सन् 2018 के राजस्थान विधानसभा के अधिनियम क्रमांक 11 के द्वारा श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय स्थापना अधिनियम स्वीकृत किया गया ।
यह विश्वविद्यालय वैदिक ज्ञान परंपरा को प्रचारित-प्रसारित करने हेतु निजी क्षेत्र का अभिनव प्रयास है । शैक्षणिक रूप से पिछड़े क्षेत्र में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ वैदिक ज्ञान परम्परा को विकसित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया। यह विश्वविद्यालय वैदिक शिक्षा को ध्यान में रखते हुए छात्रों के बौद्धिक ज्ञान के साथ साथ सुसंस्कारित करने में निरंतर प्रयासरत है तथा वैदिक परम्परागत छात्रों एवं शोधकर्ताओं के लिए एक ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में कार्यरत है ।
राष्ट्रगान
जन-गण-मन-अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
पंजाब-सिन्ध-गुजरात-मराठा
द्राविड-उत्कल-बंग
विन्ध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि-तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जयगाथा।
जन-गण-मंगल-दायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।।
वैदिक राष्ट्रगान
आ ब्रह्यन् ब्राह्मणो बह्मवर्चसी जायताम्
आ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यः अति
व्याधी महारथो जायताम्
दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिः
पुरंध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो
युवाअस्य यजमानस्य वीरो जायतां
निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु
फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्ताम्
योगक्षेमो नः कल्पताम् ।।
-- शुक्ल यजुर्वेद ; अध्याय २२, मन्त्र २२