भारतीय ज्ञान परंपरा में योग का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
यह वैदिककाल से ही जन सामान्य की जीवन शैली का अनिवार्य अंग रहा हैं। वस्तुतः यह
स्वस्थ और आनंदमय जीवन जीने की कला हैं, जो मन एवं शरीर के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है । यह अनुशासन का विज्ञान
है, जो मनुष्य का शारीरिक, मानसिक और
आध्यात्मिक रूप से सर्वांगीण विकास करता है। वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति
विविध शारीरिक, मानसिक समस्याओं से ग्रसित है, और इनके समाधान में योग विज्ञान आशा की किरण है। शरीर को चुस्त – दुरस्त और स्वयं को स्वस्थ रखने की दृष्टि से योग प्रभावी सिद्ध हुआ है,
जिससे समाज में योग शिक्षा की मांग विशेष रूप से बढ़ी हैं। योग
शिक्षा,अभ्यास और सकारात्मक स्वास्थ्य को प्रोत्साहन देने और
योग की बढती हुई इस मांग को पूर्ण करने हेतु श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय में
योग विज्ञान विभाग की स्थापना सन् 2020-21 में की गयी।
वर्तमान में इस विभाग के अंतर्गत स्नातक (बी.ए.योग), स्नातकोत्तर
डिप्लोमा और स्नातकोत्तर (एम.ए. योग) पाठ्यक्रम संचालित है। योग विज्ञान विभाग का
उद्देश्य स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा
प्रदान करना हैं। इसके अंतर्गत योग के सैद्धांतिक पक्ष के साथ - साथ प्रायोगिक
पक्ष पर भी विशेष बल दिया जाता है। इसके अंतर्गत अध्यापन आधुनिक पद्धति से कुशल,
कर्मठ एवं अनुभवी विषय विशेषज्ञों द्वारा करवाया जाता है।
विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को निखारने के लिए प्रतियोगिता आदि में भी प्रतिभागिता
हेतु विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण की भी उचित व्यवस्था हैं । योग की युगानुकूल
आवश्यकताओं और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखकर पाठ्यक्रम तैयार किया गया हैं,
जिससे विद्यार्थियों को भविष्य में उचित अवसर प्राप्त हो सकें।
योग के पाठ्यक्रम को पूर्ण करने के पश्चात् आजीविका हेतु अनेक
अवसर सरकारी- गैर सरकारी स्तर पर उपलब्ध होते है, जिनका विद्यार्थी लाभ उठा सकता है। इसके अंतर्गत आजीविका हेतु उत्तीर्ण
विद्यार्थी योग संस्थानों, योग प्रशिक्षण केंद्रों, प्राकृतिक चिकित्सालयों, विभिन्न विद्यालयों -
महाविद्यालयों, स्वास्थ्य क्लब, ओद्यौगिक जगत् आदि में रोजगार प्राप्त कर सकते। पाठ्यक्रम राष्ट्रीय
पात्रता परीक्षा के अनुरूप पाठ्यक्रम होने से भविष्य में शोध और शिक्षण के अवसरों
में भी विद्यार्थी प्राप्त कर सकता है। ‘सर्वजन हिताय-
सर्वजन सुखाय’ के संकल्प के साथ योग विभाग विद्यार्थियों के
चहुँमुखी विकास हेतु तत्पर है। इसका मुख्य आदर्श योग के दार्शनिक पक्षों के साथ-
साथ आधुनिक विज्ञान से भी परिचय कराना है जिससे विद्यार्थी आध्यात्मिक– सह-वैज्ञानिक व्यक्तित्व को विकसित करने में सक्षम हो सकें। इस अवस्था
में विद्यार्थी न केवल अपना अपितु सम्पूर्ण भारत स्वर्णिम भविष्य के निर्माण में
सक्षम सिद्ध होगा। पाठ्यक्रम की रूपरेखा: विभिन्न शैक्षणिक स्तरों के अंतर्गत
भारतीय दर्शन, योग दर्शन, मानव शरीर
रचना एवं क्रिया विज्ञान, मानव चेतना, आहार,
स्वास्थ्य, यौगिक संस्कृति के मूल्य इत्यादि
सैद्धांतिक विषयों अध्यापन किया जाता है।
भविष्य की योजनाएं:
1.नये कोर्स: छः मासीय पाठ्यक्रम, पार्ट टाइम डिप्लोमा
2.विद्या वारिधि (पीएच.डी योग )