हिन्दी भाषा विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक है, जो विश्व में तीसरी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार 57% जनसंख्या हिन्दी जानती है। भारत के अलावा हिन्दी और उसकी बोलियां विश्व के अन्य देशों में भी बोली पढ़ी व लिखी जाती हैं। मारीशस नेपाल, गयाना, फिजी और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिन्दी भाषी लोगों की बड़ी संख्या मौजूद है।
हिन्दी भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत आती है। यह हिन्दी ईरानी शाखा के आर्यभाषा उप शाखा के अंतर्गत वर्गीकृत है। ध्वनि के आधार पर विश्व की सभी भाषाओं को दो वर्गों शतम एवं केंटुम (केटुम्भ) में विभाजित किया गया है । जिसमें हिन्दी शतम शाखा के अंतर्गत आती है। भारत में मुख्य रूप से द्रविड़ भाषा परिवार तथा आर्य भाषा परिवार की भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें द्रविड़ भाषा परिवार दक्षिण में तथा आर्य भाषा परिवार उत्तर भारत में प्रचलित है।
किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसकी संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है जिसकी छांव में उस देश के लोग पले बड़े होते हैं । यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दूसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है । क्योंकि जिस भाषा को लोग अपने पैदा होने से लेकर अपने जीवन भर बोलते है लेकिन आधिकारिक रूप से दूसरे भाषा पर निर्भर रहना पड़े तो कही न कही उस देश के विकास में उस देश की अपनाई गयी भाषा ही सबसे बड़ी बाधक बनती है क्योंकि आप कल्पना कर सकते है जिस भाषा को अपने बचपन से बोलते है और उसी भाषा में अपने सारे कार्य करने पडे तो आपको आगे बढ़ने में ज्यादा परेशानी नही होगी लेकिन यदि आप जो बोलते है उसे छोड़कर कोई दूसरी भाषा में आपको कार्य करना पड़े तो कही न कही यही दूसरी भाषा हमारे विकास में बाधक जरुर बनती है। यानी हमे दूसरो की भाषा सीखने का मौका मिले तो यह अच्छी बात है लेकिन दूसरो की भाषा के चलते अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो कही न कही दिक्कत का सामना जरुर करना पड़ता है तो ऐसे में आज हम बात करते है अपने देश भारत के राजभाषा हिन्दी के बारे में जो हमारी मातृभाषा भी है और हमे इसे बोलने में फक्र महसूस करना चाहिए।आज सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र मे,बैंक ऑफिस मे हिन्दी भाषा में कार्य व्यवहार तथा दैनिक जीवन में हिन्दी की अनिवार्यता पर जोर दिया गया है ,कार्यालय तथा सार्वजनिक क्षेत्र में हिन्दी भाषा के प्रयोग पर जोर देकर सिद्ध किया जा रहा है कि हिन्दी सरल सुगम्य है। आजकल प्रतियोगिता मे एक प्रश्न पत्र हिन्दी मे होता है। अत: रोजगारपरक भाषा है। एक भाषा के रूप में हिन्दी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिन्दी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।