हमारा लॉगो

भारतीय मनीषा एवं ऋषि चिन्तन का सर्वोच्च ज्ञान वेदों में निहित है। यथा  सर्वोऽभिहितो वेदे सर्वज्ञानमयो हि स:। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय का लॉगो अंडाकार में हैजिसके केंद्र में श्री कल्लाजी महाराज की कमधज रूप की छवि को स्थापित किया गया है तथा मस्तक  के उपर शेषनागजी को रखा गया है और पीछे से सूर्यादि ग्रहों की रश्मी की भाँति किरणें पीछे हैं । लॉगोमें निहित पीत वर्ण उत्साह वर्धक एवं कृमि नाशक है अंडाकार आकार पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है और अंडाकार आकार के अंदर श्री कल्लाजी की छवि का अर्थ है कि धरती माता अपने पुत्र श्री कल्लाजी के प्रति वास्तल्यता का प्रतीक रखती हैं। श्री कल्लाजी के सिर पर श्री शेषनाग की आकृति मातृभूमि की खातिर लड़ाई के दौरान उनके वीरतापूर्ण कार्य का प्रतिनिधित्व करती हैजो कन्धे पर से अपना सिर खोने के बाद भी एक काले नाग की तरह उग्र रूप धारण कर लड़ाई किया है। उनकी आकृति के पीछे की किरणें वैदिक साहित्य में छिपी ज्ञान की किरणों को पूरे विश्व में फैलाने के लिए उनके प्रेम का प्रतिनिधित्व करती हैं। श्री कल्लाजी महाराज की आकृति के चारों ओर ऋग्वेद मन्त्र की भद्रैषां लक्ष्मीर्निहिताधि वाचि (ऋग्वेद - 10.71.02) लिखा है जिस का अर्थ - इन सर्वोच्च महर्षयों (भद्रा लक्ष्मी-निहित) के भाषण में ज्ञान का एक विशिष्ट धन है जो परोपकारी हैं।